Book Title: Prachin Tibbat
Author(s): Ramkrushna Sinha
Publisher: Indian Press Ltd

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Page 141
________________ अध्यात्म की शिक्षा १४१ मिलने-जुलनेवाले भी उसके कमरे में आ-जा सकते हैं; लेकिन दूसरे ढङ्ग पर रहनेवाले त्साम्सपा केवल उन्हीं लोगों से बोलते हैं जो उनकी दैनिक आवश्यकताओं को जुटाने का काम करते हैं। किसी को उनके पास तक जाने की आज्ञा नहीं रहती। अगर काम बहुत जरूरी हुआ तो एकाध मिनट के लिए दोनों एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन ऐसे अवसरों पर उनके बीच में एक बड़ा सा पर्दा खड़ा कर दिया जाता है और वे एक-दूसरे को बगैर देखे बातें करके अलग हो जाते हैं। प्रायः बहुत से तिब्बती विद्वान् इन उपायों को किसो धार्मिक उद्दश्य की सिद्धि के लिए नहीं, प्रत्युत यों ही विद्याभ्यास के लिए काम में लाते हैं। ये और कुछ नहीं, व्याकरण, दर्शन, ज्योतिष या वैद्यक का अध्ययन करते हैं और विनों से दूर रहने के लिए इस प्रकार का निजेन एकान्तवास उन्हें अपने काम के लिए बहुत ठीक समझ पड़ता है। कुछ केवल एक नौकर के सामने हो सकते हैं और कुछ किसी के भी नहीं। ___ कुछ एकदम मौनव्रत धारण कर लेते हैं और आवश्यकता पड़ने पर लिखकर बातें कर सकते हैं। ___ कुछ अपनी खिड़कियों को इस प्रकार बन्द कर लेते हैं कि कोई भी प्राकृतिक दृश्य या आकाश के सिवा बाहर की कोई भी वस्तु उनके देखने में नहीं आ सकता । ___ बहुत से ऐसे भी होते हैं जो अपनी खिड़कियाँ एकदम बन्द कर लेते हैं या किसी बिना खिड़की को काठरी में रहते हैं। वे आकाश को भी नहीं देख सकते। हाँ, बाहर से रोशनी भीतर आ सकने के लिए काइ न कोई प्रबन्ध ज़रूर कर दिया जाता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, wnafumaragyanbhandar.com

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