________________
प्राचीन तिब्बत सवार हुए और हमारा सामान एक हट्टे कट्टे टट्ट, पर लाद दिया गया। _____सफर बहुत लम्बा नहीं था। कोई चार दिन का रास्ता सुभीते का था । ___ आखिरकार एक दिन शाम को जब कि मैं सड़क के एक मोड़ पर शराब के नशे में चूर धूल में लोटते हुए एक आदमी को दयापूर्ण दृष्टि से देख रही थी, मेरी निगाह किसी और शानदार दृश्य पर पड़ी। थोड़ी दूर पर सन्ध्या के धुधले आलोक में आकाश में तने नीले वितान के तले ताशिल्हुन्पो की गुम्बा थी और सुनहरी छतों को अस्ताचल को गमन करते हुए सूर्य भगवान अपनी अन्तिम रश्मियों से सुशोभित कर रहे थे। __ ताशिल्हुन्पो की सुप्रसिद्ध गुम्बा शिगाजे से दूर नहीं है। यह बड़े लामा--जिन्हें विदेशी ताशी लामा कहते हैं-का स्थान है। तिब्बत में लोग उन्हें त्सा पेन्छेन रिम्पोछे ( त्सांग प्रान्त का माननीय विद्वान् महापुरुष) के नाम से जानते हैं। वे ओद्यग्मेद अर्थात् अखण्ड तेजवान भगवान बुद्ध के अंश और साथ ही साथ उनके प्रिय शिष्य सुभूति के अवतार माने जाते हैं। धार्मिक दृष्टि से उनका और दलाई लामा का बराबर का अोहदा है। । दूसरे दिन मुझे ताशी लामा के सामने उपस्थित होकर उन्हें अपने देश के बारे में खुलासा तौर पर बताना पड़ा। मैंने उन्हें बतलाया कि मेरी जन्मभूमि पेरिस में थी। ___ "कौन सा पेरिस ?-ल्हासा के दक्षिण में एक गाँव फापी है जिसका शुद्ध उच्चारण पैरो है--वही तो नहीं !" मैंने समझाया कि मेरा पेरिस इतना निकट नहीं था और तिब्बत की राजधानी से पश्चिम की दिशा में पड़ता था। पर इस बात पर मैं बराबर जोर देती रही कि कोई भी आदमी तिब्बत से चलकर बिना समुद्र पार
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, wiatumaragyanbhandar.com