Book Title: Prachin Tibbat
Author(s): Ramkrushna Sinha
Publisher: Indian Press Ltd

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Page 35
________________ लामा लोगों का प्रातिथ्य लेकिन पता नहीं, दैवयोग से या कोई और वजह थी कि उसने जो कुछ कहा था, उसमें भारी मतलब निकला। महाराजा तुल्कु का, बहुत पहले से, एक लड़की के साथ प्रेम हो गया था और उनका विवाह कहीं और होनेवाला था। उन्हें इसी बात की चिन्ता थो किन्तु कुछ ऐसा संयोग आ पड़ा कि उन्हें इसके बारे में अधिक नहीं सोचना पड़ा। ब्याह से कुछ दिन पहले ही वे इस संसार से कूच कर गये। ____ मैं लामा तुल्कु के साथ नेपाल राज्य की सीमा तक गई हुई थी। उनके नौकर-चाकर इस बात को जानते थे कि महाराजा को अपने देश की 'धर्म सम्बन्धी विचित्र बातों' को मुझे दिखलाने का बड़ा शौक था। लौटती बार उन्होंने पता दिया कि पास के पहाड़ों में दो बड़े विचित्र संन्यासी बरसे से ऐसे छिपकर रहते थे कि कोई उनको परछाई तक न पाता था। समय-समय पर उनके लिए एक निश्चित गुफा में कुछ खाद्य सामग्री रख दो जाती थी और वे उसे रात को आकर उठा ले जाते थे। पर वे कहाँ रहते थे, क्या करते थे, इसका न किसी को पता था और न किसी ने पता लगाने की कोशिश ही की थी। ___ महाराजा ने आज्ञा दी कि जङ्गल को चारों ओर से घेर लिया जाय और इन दोनों विचित्र जीवों को पकड़कर उनके पास लाया जाय। हाँ, इस बात का ध्यान अवश्य रक्खा जाय कि उन्हें किसी प्रकार की हानि न पहुँचने पावे। ___ बड़ो कठिनता से दोनों संन्यासी पकड़कर लाये गये। मुझे फिर ऐसे अद्भुत प्राणी देखने को नहीं मिले। दा के दोनों देखने में बड़े ही गन्दे लगते थे। उनके शरीर पर थोड़े से फटे कपड़े थे। उनके चेहरे लम्बे-लम्बे झबरे बालों से ढके हुए थे और उनके भीतर से उनकी बड़ी-बड़ो आँखें बिज्जू की सी चमक रही Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, kurnatumaragyanbhandar.com

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