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हो कि छड़ी सीधी ही रहती है, लेकिन तुम्हारे मन का ढंग और प्रकाश-किरणों का व्यवहार एक धोखा निर्मित कर देता है-एक भ्रम-कि वह मुड़ गई है। तुम जानते भी हो कि वह सीधी ही है, तो भी वह पानी के भीतर मुड़ी हुई ही दिखेगी। तुम्हारा ज्ञान काम न आएगा। तुम अच्छी तरह, खूब अच्छी तरह जानते हो कि वह मुड़ी हुई नहीं है, लेकिन वह दिखेगी मुड़ी हुई-क्योंकि आंखों का और प्रकाश की किरणों का व्यवहार ऐसा है कि भ्रम निर्मित हो जाता है। फिर अपने कुछ मित्रों को ले जाना अपने साथ : तुम सभी उसे मुड़ा हुआ देखोगे। यह एक सामूहिक भ्रम है। इसी तरह संसार एक सामूहिक स्वप्न है।
द्रष्टा और दृश्य साथ-साथ होते हैं ताकि प्रत्येक का वास्तविक स्वभाव जाना जा सके।
इस संयोग का कारण है अविदया अज्ञान।
इस स्वप्नवत संसार के साथ जुड़ना, देह के साथ जुड़ना, मन के साथ जुड़ना-जो कि तुम हो नहींएक आवश्यकता है। इस जोड़ के द्वारा तुम तैयार होओगे ज्यादा बड़े जोड़ के लिए। इस जोड़ के
द्वारा तुम जान लोगे कि यह जोड़ झूठा है। जिस दिन तुम जान लोगे कि यह जोड़ झूठा है, परम मिलन घटित होगा।
जब संसार से तुम्हारा तलाक हो जाता है तो परमात्मा से तुम्हारा विवाह हो जाता है। जब तुम्हारा विवाह होता है संसार के साथ, तो परमात्मा से तुम्हारा तलाक हो जाता है। इसीलिए सारे संत-मीरा, चैतन्य, कबीर, पश्चिम में थेरेसा–वे सभी बात करते हैं विवाह की भाषा में, दूल्हा और दुलहन की भाषा में। और वे सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं परम मिलन की।
इस प्रतीक उपयोग किया गया है। मनस्विद तो इस विषय में संदेह भी करते हैं कि क्यों रहस्यदर्शी संत प्रेम, विवाह, आलिंगन, चुंबन आदि प्रतीकों का प्रयोग करते हैं! भारत में तो संभोग तक का प्रयोग किया गया है प्रतीक के रूप में : जब परम मिलन घटित होता है तो आनंद का चरम शिखर अनुभव होता है-व्यक्ति का समग्र के साथ परम संभोग, लहर का सागर के साथ परम मिलन होता है। क्यों ये लोग यौन प्रतीकों का प्रयोग करते हैं? मनस्विद संदेह करते हैं कि जरूर कहीं कामवासना का दमन रहा होगा।
वे गलत हैं। कामवासना का कोई दमन नहीं है, लेकिन कामवासना इतनी बुनियादी घटना है कि धर्म कैसे बच सकता है उससे? उसका प्रयोग करना पड़ता है। और संभोग एकमात्र गहनतम घटना है जहां तुम स्वयं को पूरी तरह से खो देते हो। तुम ऐसी कोई और घटना नहीं जानते जिसमें तुम इतनी समग्रता से अपने को खो देते होओ। और परमात्मा में या अस्तित्व में व्यक्ति स्वयं को पूरी तरह