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पश्चिमी भारत की यात्रा लिए मेरे पास भटनेर से उमरकोट और पाबू से आरोर (Arore) तक के प्रत्येक 'थळ'' से देशी आदमियों को ला-ला कर पेश किया है। मध्य भारत और पश्चिमो भारत से प्राप्त विवरण और इन सभी मार्गों का ब्यौरा मिल कर मध्यम माप के पृष्ठों की ग्यारह जिल्दों में हैं। इस सामग्री का संग्रह करने में खूब धन खर्च किया गया और स्वास्थ्य एवं श्रम की भी कोई परवाह नहीं की गई, इससे उसके उत्साह की तीव्रता एवं मान्यताओं की दृढ़ता का परिचय प्राप्त होता है। मिस्टर मर्सर कहते हैं 'जब तक में इस रेजीडेन्सी में रहा, वह इस प्रदेश के भूगोल-सम्बन्धी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रत्येक सुलभ और शक्य अवसर का लाभ उठाता रहा; और मेरा विश्वास है कि उसके वेतन का बहुत बड़ा भाग देश के विभिन्न भागों में कार्यकर्ता भेज कर उनके द्वारा स्थलीय सूचनाएं प्राप्त करने में व्यय होता था । वह स्वयं भी इस उद्देश्य के लिए अथक परिश्रम करता रहता था; और उसको थकान को कम करके उसे पुनः सुस्वस्थ बनाने हेतु कभी-कभी मुझे ऐसे प्रयत्न भी करने पड़ते थे कि उसकी प्रवत्तियों में रोक पैदा हो जाय क्योंकि गठिया-वात से प्रभावित उसका स्वास्थ्य बहुधा साधारण व्यायाम करने में भी अशक्य हो जाता था।'
वह एक मण्डली की खोज के परिणामों से शायद ही कभी सन्तुष्ट होता था वरन अपर मण्डली को निर्देश देने में उनका उपयोग करता था और इस तरह वह दूसरी मण्डली अतिरिक्त सूचना लेकर उसी स्थल पर पहुंच जाती थी। इस प्रकार कुछ ही वर्षों में, मार्गों को मानचित्रों में रेखांकित कर के कितनी ही जिल्दें तैयार कर ली गई; और बहुत सी सीमावर्ती रेखाओं को निश्चित करके एक साधारण खाका तैयार किया गया जिसमें सभी प्रकार की सूचनाएं अंकित थीं। इसके बाद, उसने इस कार्य की शुद्धता को जाँचने के लिए त्रिकोणमिति के आधार पर पुनः सर्वेक्षण चालू करने का निश्चय किया और यह कार्य उसने फिर से नई मण्डलियां भेज कर पूरा कराया, जिन्होंने निश्चित बिन्दुओं और केन्द्रों से बीस मील अर्ध-व्यास की परिधि में स्थित सभी नगरों के मार्गो का ब्यौरा एकत्रित किया। वह कहता है 'ऐसे ही तरीकों से मैंने इन अपरिचित स्थलों में अपना कार्य किया ।'
ये विवरण, जो स्वयं कर्नल टॉड के शब्दों में दिए गए हैं, साधारण रूप से अतीव संक्षिप्त लगते हैं, परन्तु इनसे उनके प्रसार और उसके उन सम्पर्कों की
' 'थळ' खुले और सूखे भू-भाग को कहते हैं, जो जंगल या रोही से भिन्न होता है। . 'इतिहास'. २. २८६
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