Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 8
________________ ३ स्मरण थाय छे. देरासरजीमां पत्थरनी उत्तम कोरणीमां श्री सिद्धचक्रजी त्था श्रीपाल महाराज अने मयणासुन्दरीनो पट्ट एवो आबेहूब कराव्यो, के जेने देखतां अपूर्व आहलाद थाय अने उच्च भावना प्रगटे. वही गुरुभक्ति निमित्ते एक देरी करावीने तेमां मुनि महाराज श्री केशरविजयजी महाराजनी मूर्ति पधारावी. शेठ पन्नालालजीनो जन्म विक्रम संवत १९३१ मां थयो हतो. तखतगढमां साधु-साध्वी त्था जैन भाइओने उतरवा माटे त्था सामयिक प्रतिक्रणणादि धार्मिक क्रिया माटे जोइए तेवी सगवडवालो उपाश्रय के धर्मशाळा नहोती, तेथी ए सगवड दूर करवा माटे उदार दिलना शेठ पन्नालालजीए सारी धर्मशाळा मोटा खर्चे करावी आपी, जेनो लाभ अत्यारे साधुसाध्वी त्था जैन भाईओ लई रह्या छे. तेमणे सिद्धाचलजीनो बार गाउनो संघ काढ्यो हतो, जेमां सेकडो यात्रालुओए लाभ लीधो हतो. शेठ पन्नालालजी दर वरसे कोईने कोई तीर्थनी यात्रा करता. साधर्मिक वात्सल्य, साधु-साध्वीनी सेवाभक्ति, त्था साधर्मिक भाईओने सहाय करवी, परमात्मानी पूजा करवी, विगेरे शाशन हितनां त्या आत्म कल्याणनां सत्कार्यो ए एमनो मुख्य व्यवसाय हतो. शेठ पन्नालालजीनां धर्मपत्नी काई मगनीनी कुखे देवीचन्दजी नामना एक पुत्र भने सकुबेन एक पुत्री थया. सकुबेन घणाज धर्मिष्ट छे, तेओ हालमां विधवा धयेल छे. शेठ पन्नालालजीना धर्मपत्नी बाई मगनी सं. १९८६ ना भादवा सुदि बीजना रोज स्वर्गवासी थया, अने शेठ पन्नालालजी सं. २००२ ना महा वदी नोमना रोज स्वर्गवासी थया. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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