Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 26
________________ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार अवारनवार तिथिनी क्षय के वृद्धि आव्या करे छे तेथी आपणे कालिकसूरिजीनी परंपराथी भादरवा सुदि ४ ना दिवसे ४९ दिवस थया होय तो पण पचाश दिवस पूरा थयेला मानीने ते दिवसे सांवत्सारिक पर्व करीए छीए. . प्र० १२ लौकिक पंचांगमां भादरवा सुदी पंचमीनो क्षय होय तो सांवत्सरिक पर्वनी आराधना क्यारे करवी. उ०-लौकिक पंचांगमां भाद्रपद शुक्ल पंचमीनो क्षय होय तो तपागच्छनी सामाचारी प्रमाणे चोथनो क्षय करवो जोइए पण लोगविरुद्धचाओ ए वाक्यने ध्यानमां राखीने त्रीज चोथ भेगा गणीने संवत्सरीनी आराधना करवी. शंका-कालिकसूरिथी . भाद्रपदशुक्ल चोथ वार्षिक पर्व गणाय छे तो तेनो क्षय केम थाय ? समाधान-तिथि बे प्रकारे होय छे एक कालतिथी अने बीजी कार्यतिथि, जे तिथि त्रणे कालमां नियत होय ते काल तिथि कहेवाय छे अने जे तिथि तीर्थं करोना जन्मदीक्षा केवलज्ञान के निर्वाणने आश्रिने प्रर्वतेल होय ते कार्य तिथि कहेवाय छे, बीज-पांचम-आठम विगेरे बार पर्व तिथिओ काल तिथिओ कहेवाय छे अने आ तिथिओ पंदर कमभूमिमां नियत छे तेथी गीतार्थ आचार्यो बार पर्वतिथिनी क्षय के वृद्धिमां तेना पूर्वनी अपर्व तिथिनी क्षय के वृद्धि करे छे, पण कल्याणक के बीजा पर्वाना क्षयमां तेनी पूर्वनी तिथिनो क्षय मानता नथी. संवत्सरिनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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