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पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तर विचार
चोथ ए कालिकसूरिथो कार्यतिथि गणाय छे केमके ते दिवसे पवमीचें कार्य कयुं छे पण कालतिथि कहेवाय नहि, निशीथचूर्णिनी रचना कालिकसूरिथी १०० वर्ष बाद महत्तर जिनदासगणिए करेल छे तेमा स्पष्ट रीते भादरवा सुदी ४ ने अपच तरीके संबोधेल छे तेथी तेनो क्षय थई शके अने निशीथचूर्णिमां पण चोथने कारणीया एवं विशेषण आपेल छे.
शंका-केटलाको एम कहे छे के औदायिक चोथ मुकोने तेनी पूर्वनी तिथिमां संवत्सरीपर्वनी आराधना केम यार ?
समाधान-शास्त्रानुसार सांवत्सरिक पर्वनी तिथि तो भादरवा सुद पांचम छे चोथ तो कारणिक छे, “अंतरावि कप्पई " कल्पसूत्रना नवमा व्याख्याननी समाचरीना उपरना पाठने अनुसारे संवत्सरि फरे त्यारे उदयतिथिनो नियम रहेतोज नथी फक्त कालिकसूरिमहाराजे पांचमथी एक दिवस पहेला सांवत्सरिक पर्वनी आराधना करी, ए रीते करीए तोज कालिकसूरिमहाराजनी आचरणा प्रमाणे सांवत्सरिक पर्वनी आराधना करी गणाय जेओ पांचमना क्षय के वृद्धिमां औदयिकतिथिने पकडीने संवत्सरिनी आराधना करे छे.
तेओना मते सूत्र आज्ञा अने कालिकसूरिनी परंपरानो स्पष्ट भंग थाय छे.
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