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मुहपत्तिबन्धन मुहपत्ति चर्चाने परिणामे परम्पराथी व्याख्यान समये मोढे मुहपत्ति बांधवानी वात सिद्ध थई त्यारे पू. श्री बुटेरायजी महाराज श्रीना शिष्य पू श्री नीतिविजयजो महाराजे का के-आपश्री स्थानकवासी संप्रदायमांथी आव्या छो वेथी आप मुहपत्ति न बांधो, परन्तु हुं तो स्थानकवासी संप्रदायमांथी आवेल नथी तो आपश्री जो आज्ञा आपो तो हुँ मुहपत्ति बांधुं. पडी पू. श्री बुटेरायजी महाराजश्रीनी आज्ञाथी पूज्य महाराजश्री नीतिविजयजी महाराज व्याख्यानसमये मोढे मुहपत्ति बांधता हता. तेमना शिष्य पू. श्री सिद्धिविजयजो म. पू. श्री हरखविजयजी म० अने मुनिराजश्री दीपविजयजी म. पण मुहपत्ति बांधता हता एम संभळाय छे. एटले गुरुए न बांधी तेथी शिष्यो पण न बांधे तेवो कोई नियम नथी.
आ ढूंका निबन्धनो सारांश ए छे के-साधु-मुनिराजे व्याख्यान वांचती वखते मुहपत्ति मुख पर बांधीने कानना छिद्रमां भराववी ए गोतार्थ परम्परागत आचरणा ज छे.
व्याख्यानमां मोढे मुहपत्ति बांधवा विष आचार्यश्री विजयानंदमूरि-आत्मरामजी महाराज तरफथी सुरत मुनिश्री आलमचंदजी महाराज उपर लखाएल पत्रनी अक्षरशः नकल नीचे आपवामां आवे छे.
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