Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf
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(९) गुरुभक्तिने तिलांजली आपवी पडे छे, गुरुने बतावी गुरुनी आज्ञानुसार गुरुदत्त आहार लेवानो लाम गुमावे छे, अने गुरुने बताव्या विना लेनाथी क्वचित् स्वच्छंदताने अवकाश मळे छे.
(१०) पात्रता अभावमा बिमार तथा वृद्ध माटे आहार पाणी लाबी शकाता नथी. तेम गृहस्थनां लावेला आहार पाणी पण वापरी शकाता नथी तेथी निराहार रहेवु पडे छे.
(११) आवी स्थितिमा बिमार-वृद्ध साधुने आर्तरौद्र ध्यानमां पडी जई आत्मानुं अकल्याण थवानो संभव छे.
(१२) करभोजीनां हाथमाथी खोराकनो अंश नीचे पडी जाय छे तेथी जीव विराधना निन्दा थाय छे,
(१३) महावीर भगवाने स्थापेठ चतुर्विध संघने दिगंबरोए खंडित करेल छे. कारण के तेओमां साध्वी संघज नथी. स्त्री दिगम्बर रही शके नहि माटे साध्वी थई शके नहि. तेथी दिगम्बरोमां चतुर्विध संघज नथी. दिगंबरोमां जैन सिद्धांत विरुद्धनी केटलीक खोटी मान्यताओ पण प्रार्ने छे, तेना त्रण कारणो छे. . (१) नग्नत्वना ओग्रहने लीधे नग्नत्वनी विरुद्ध जती बाबतोनो अस्वीकार करवा माटे ते ते बावतोथी उलटी प्ररूपणा करवी पडी.
(२) श्वेतांबरोथी छूटा पडीने तेमनो अने तेमना साहित्यनो संपर्क खोवाथी मूळ मान्यता भूली जवाथी दिगंबर
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