Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 29
________________ पर्व तिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार उदयंमि जा तिही सा पमाणमिअरइ कीरमाणीए ॥ आणाभंगणवत्थामिच्छत्तविराहणं पावे ॥ १ ॥ पाराशर - स्मृत्यादावपि आदित्योदय वेलायां, या स्तोकापि तिथिर्भवेत् सा संपूर्णेति मन्तव्या प्रभूता नोदयं विना ॥ १ ॥ २० अर्थ - सूर्योदय वखते जे तिथि होय तेज प्रमाण करवी जोईए. उदय विनानी बोजी तिथि प्रमाण करे तो आज्ञाभंग, अनवस्था मिध्यात्व अने विराधनानुं पाप लागे. आ कारणथीज पूर्वाचार्यो उमास्वाति महाराजना प्रघोषने अनुसारे क्षय पामेल पर्वतिथिने पूर्वनी तिथिमां औदयिक पर्वतिथि स्थापीने आराधना करे छे तेथी आज्ञा भंग के मिध्यात्वनो दोष लागतो नथी एटला माटेज पर्वतिथिना क्षये अपर्वतिथिनो क्षय मनाय छे तेमज पूर्णिमानी वृद्धिमा चौदशपुनमनी जोडे आराधना माटे पंचांगनी प्रथम पूर्णिमाए औदयिक चतुर्दशी स्थापीने तेरशनी वृद्धि मानवामां आवे छे. करवा क्षय माननार आराधना प्रश्न १५ – पर्वतिथिनो पर्वनी करे के अपर्वनी ? उत्तर - नवा पंथवाळा पोताना पंचांगमां पर्वतिथिना क्षये अपर्व अने पर्व बन्ने तिथि नाथे लखे छे अने ते प्रमाणे माने छे. श्राद्धाविधिमां कह्युं छे के चाउम्मासि वरिसे परिवअपंचमीसुनायव्वा || ताओ तिहिओ जासि, उदेइ सुरो न अण्णाओ || १ || पूआ पच्च Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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