Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 22
________________ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार करनार छतो पहेली त्रण प्रतिमावहननी क्रियामां तत्पर एवो श्रावक चार महिना सुघी पौषध प्रतिमा करे, पाक्षिकनो उपवास कर्या पछी बीजे दिवसे अमावास्या के पूर्णिमाए उपवास करवानी शक्ति न होय तो आयंबिल के नीवी करे. बीजो पाठ, सेनप्रश्न, पत्रांक १०५प्रतिमाधरश्रावकः श्राविका वा चतुर्थी प्रतिमात आरभ्य चतुष्पर्वी पौषधं करोति तदा पाक्षिकपूर्णिमा षष्ठकरणाभावे पाक्षिकपौषधं विधायोपवासं करोति पूर्णिमायां चैकाशनं कृत्वा पौषधं करोति तत्शुध्यति न वा इति प्रश्नोत्रोत्तर प्रतिमाधरः श्रावकः श्राविका वा चतुर्थीप्रतिमात आरभ्य चतुष्पी पौषधं करोति तदा मुख्यवृत्या पाक्षिकपूर्णिमयोश्चतुर्विधाहारषष्ठ एव कृतो युज्यते, कदाचिच्च यदि सर्वथा शक्तिनं भवति तदा पूर्णिमायां आचाम्लं निर्विकृतिकं वा क्रियते एवंविधाक्षराणि समाचारीग्रन्थे सन्ति परमेकाशनं शास्त्र दृष्टं नास्तीति ॥ अर्थ-प्रतिमाधारी श्रावक के श्राविका चोथी प्रतिमाथी चारपर्वी पौषध करे तो परखी अने पूर्णिमानो छटु न थइ शके तो पख्खीनो पौषष करीने उपवास करे अने पूर्णिमाना दिवसे एकासणु करीने पौषध करे तो शुद्ध थाय के केम? उत्तर-प्रतिमाधारी श्रावक के श्राविका चोथी प्रतिमाथी चार पना पौषध करे तो मुख्यवृत्तिए पख्खी अने पूर्णिमानो घउविहार छ? ज करवो जोइए. जो कदि सर्वथा शक्ति न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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