Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 15
________________ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्ने तर विचार अर्थ-आठम, चौदश, अमावास्या अने पूर्णिमा आ पर्वतिथिओने विष क्षय के वृद्धि थाय नहि. पर्वतिथिनो क्षय आवे तो पूर्वनी अपर्वतिथिनो क्षय करवो. जुओ ते पाठ जइ पव्वतिदिखओ तह कायव्यो पुवतिहिए । एवमागमवयणं कहियं तेन्टुकनाहि ॥१॥ बीया पंचमी अट्ठमी एकारसी चाउद्दसी य ॥ तासं खओ पुव्वतिहिओ अमावसाए वि तेरस ॥२॥ अर्थ- जो पंचांगमा पर्वतिथिनो क्षय होय तो तेना पूर्वनी अपर्वतिथिनो क्षय करवो एम त्रैलोक्यनाथ कथित आगम वचन छे. बीज, पांचम, आठम, चौदश ए तिथिओनो क्षय होय तो तेना पूर्वनी तिथिनो क्षय थाय अने अमावास्यानो क्षय होय तो तेरसनो क्षय करवो. बीजं वाचकवर्य उमारवाति महाराजनो प्रघोष क्षये पूर्वा तिथिः कार्या वृद्धौ कार्या तथोत्तरा पण क्षय वृद्धि मानवानो निषेध करे छे, उपरोक्त पाठो उपरथी एम सिद्ध थाय छे के-पर्वतिथिनी क्षय के वृद्धि मानी शकाय नहि. प्रश्न ५-लौकिक पंचांगमां पर्व के पर्वानन्तर पर्व (चौदश पछी अमावास्या के पूर्णिमा आवे ते ) तिथिनी क्षय के घृद्धि आवे तो कई तिथिने पर्वतिथि कहेवी अने मानवी ? उत्तर-श्राद्धविधिग्रंथमां पर्व कृत्यना अधिकारमा आचार्यश्री रत्नशेखरसूरीश्वरजी महाराज वाचकवर्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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