Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 18
________________ पर्व तिथिक्षय वृद्धिप्रश्नोत्तर उत्तर - उमास्वाति महाराजना समयम तो जैन टिप्पण होवु ज जोईए, केमके तेओ पूर्वधर हता, तेमने माटे प्रथान्तरमा वाचकाः पूर्वविदः विशेषण आपल छे तेमना शिष्य श्यामाचार्य महाराजे प्रज्ञापनासूत्रनी रचना करेल छे अने दश पूर्वधरनुं रचेल होय तेज सूत्ररुपे मनाय छे, तो दश पूर्वधरना समयमा सैद्धान्तिक टिप्पण न होय ए वात मानी शकाय एवी नथी. १४मी सदीमां थएल जिनप्रभसूरिजीना पहेलाथी ज सैद्धान्तिक टिप्पणनो अभाव थयो होय एम अमरु मानतुं छे. प्रश्न ८ - लौकिक पंचांगमां चतुर्दशी पर्वानन्तर अमावास्या के पूर्णिमानो क्षय आवे तो ते पर्वनी आराधना केवी रीते करवी ? पूर्णिमा के अमावास्याना क्षयमां तेरशनो क्षय उत्तर - लौकिक पंचांगमां अमावास्या के पूर्णिमाना पर्वतिथिनो क्षय आवे तो क्षये पूर्वा तिथिः कार्या ए प्रघोषने अनुखारे पंचांगनी त्रयोदशीए लोकोत्तर औदयिक चतुर्दशी स्थापने पाक्षिक कृत्य करवुं अने लौकिक चतुर्दशीप क्षय पामेल अमावास्या के पूर्णिमाने स्थापीने ते पर्वनी आराधना करवी. हीरप्रश्न ग्रंथ पण उपरोक्त कथननुं समर्थन करे छे. जुओ हीरप्रश्न पत्रांक ३२ पंचमी तिथिखुटिता भवति तदा तत्तपः कस्यां तिथौ क्रियते, पूर्णिमायां च त्रुटितायां कुत्र इति प्रश्न अत्रोत्तरं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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