Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 12
________________ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार प्रमाण अहोरात्र करतां थोडं होवाथी बे महिने एक तिथिनो क्षय आवे छे. जुओ सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र टीका, पत्र २१७. यत एकैकस्मित् दिवसे एकैको द्वाषष्टिभागोऽमरावस्य सम्बन्धी प्राप्यते ततो द्वाषष्टया दिवसैरेकोऽवम(क्षय) रात्री भवति, किमुक्तं भवति ?-दिवसे दिवसे अवमरात्रसत्केकद्वापष्टिभागद्धया द्वाष्टितमो भागः सञ्जायमानो द्वापष्टितमदिवसे मूलत एव त्रिषष्टितमा तिथिः प्रवर्ततेइति एवं च सति य एकपष्टितमोऽहोरात्रस्तस्मिन्नेकषष्टितमा द्वापटितमा च तिथिनिधनापगतेति द्वापष्टितमा तिथिलोंके पतितेति व्यवहियते ॥ भावार्थ--एकैक दिवसे एक एक बासठमो भाग क्षय रात्रिसंबंधी प्राप्त थाय छे, तेथी बासठ दिवसे एक क्षयरात्रि थाय छे. कहेवानी मतलब ए छे के-दिवसे दिवसे क्षयरात्रि संबंधी एक एक बासठीया भागनी वृद्धिवडे बासठमो भाग उत्पन्न थता बासठमा दिवसे मूळथी ज त्रेसठमी तिथि प्रवर्ते छे, ए प्रमाणे छते एकसठमो जे दिवस तेमा एकसठमी अने बासठमी तिथिओ पूरी थाय तेथी बासठमी तिथि लोकमां भय पामेली कहेवाय छे. यतः उक्तं तत्रैव पत्रे एक्कंमि अहोरत्तं दोवि तिही जत्थ निहणमेज्जासु सोत्थ तिही परिहायइ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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