Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Author(s): Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf

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Page 11
________________ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविवार यावन्मुहूर्तप्रमाणा तिथिस्तावत्पमाणा तां प्रतिपादयन्ति अउणत्तीसं पुण्णा उ मुहुत्ता सोमतो तिही होह ॥ भागा य उ बत्तासंबावकिरण छेएणं गाथा१०५।। टीका-सोमतः चन्द्रमस उपजायते तिथिः, सा च तत उपजायमाना एकोनत्रिंश परिपूर्ण मुहूर्ता एकस्य च मुहर्तस्य द्वापष्टिकृतेन छेदेन प्रविनतम्ब सत्का द्वात्रिंशत् भागाः तथाहि-अहोरात्रस्य द्वापष्टिाकतस्य सत्का ये एकषष्टिभागास्तावत्प्रमाणा तिथि युक्तम् ॥ भार्थ-चंद्रनी गतिथी तिथि उत्पन्न थाय छे. ते उत्पन्न थती तिथि संपूर्ण २९ मुहूर्त अने एक मुहूर्तना बासठीय बत्रीश भाग जेटलीज होय छे, एटलुंज सूत्रमा तिथिर्नु प्रमाण कहेलं छे तेथी तिथिनी वृद्धि थई शके नहि. प्रश्न २-लौकिक वेदांग ज्योतिषमा तिथि- प्रमाण केटलुं ? उत्तर--- वेदांग ज्योतिषमां तिथिर्नु माप चंद्रनी गति उपर आधार नाखतुं होवाथी कोइक वार चोपन घडीन अने कोई वार छसठ घडीनु होय छे, तेथी ते तिथि बे सूर्योदय ने स्पर्शी शके छे तेथी लौकिक पंचांगमां तिथिनी वृद्धि आवे छे. प्रश्न ३-जैन सिद्धान्त प्रमाणे तिथिनो क्षय आवे छे ? उत्तर- सूर्यप्रज्ञप्ति, ज्योतिषकरंडक सूत्रानुसार तिथिर्नु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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