Book Title: Parvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh Author(s): Hemchandrasuri Acharya Publisher: Chinubhai Trikamlal Saraf View full book textPage 6
________________ तखतगढ निवासी श्रीमान् शेठश्री पन्नालालजी धीराजीन टुंक जीवन-चरित्र जोधपुर स्टेटमां आवेलु तखतगढ शहेर घणा समयथी जैनोनी जाहाजलाली माटे प्रसिद्ध छे. आ शहेरमां ओसवाल ज्ञातिय अने जैनधर्म प्रत्ये पूर्ण श्रद्धालु शेठ धोराजीने पतिपरायण इंदुमती नामे भद्रक परिणामी धर्मपत्नी हता. तेमनी कुखे शेठ धीराजीने अचलाजी, पन्नालालजी, ओकचंदजो भने केसरिमलजी नामे चार सुपुत्रो थया. ए चार भाईओभां अजोड संप हतो, ते साथे भाग्यनो सितारो खोलतां लक्ष्मीदेवीनी प्रसन्नता थई.लक्ष्नीनी वृद्धि थवा साथे शेठ पन्नालालजी स्था तथा तेमना भाई ओन चित पुण्यकार्य तरफ दोरायु. का छे के अधः क्षिपन्ति कृपणा, वित्तं तत्र थियासवः । सन्तश्च गुरु चैत्यादौ, तदुच्चैः फल कांक्षिणः ॥ अर्थ:-"कंजुस पुरुषो जाणे नीचे-नीचे गतिमां जवानी इच्छावाला होय तेम धनने नीचे-भूमिमां दाटे छे, अने सत्पुरुषो तो उंचा फळनी उंची गतिनी इच्छावाला होवाथी गुरुमहाराज तथा चैत्यदेरासर विगेरे पुण्यकार्यमा धनने वापरे छे." ___ पूर्व जन्मना पुण्यर्योदयथी लक्ष्मी मले छे, परन्तु ए मळेली लक्ष्मीने सत्कार्यमा उपयोग करको ए भावि सद्गतिनी निशानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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