Book Title: Parmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Author(s): Yogindudev, Samantbhadracharya, Vidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Samaj

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Page 13
________________ दुबारा वेदी प्रतिष्ठा सं० २०२८ में भंवरलालजी सेठी की तरफ से हुई । अब वहां वर्तमान में हर समय मंडल विधान, जाप्यादि हुमा ही करते हैं। (२) श्री शांतिनाथ जिन मन्दिर-इस मन्दिर की नींव सं० १९६७ में श्री जोधराजजी गगाबकसजी श्री लालचन्दजी व कन्हैयालालजी के हाथों से पंचायत की तरफ से लगी और इन्हीं के तत्वावधान में मन्दिरजी का कार्य सम्पन्न हा। लिखते हये परम हर्ष होता है कि इस छोटी सी पुण्य नगरी में सं० १९८० में बिम्ब प्रतिष्ठा ( पंच कल्याणक महोत्सव ) भी सर्व समाज की ओर से इन्हीं के तत्त्वावधान में श्री आदिनाथजी के नाम से होकर सूलनायक श्री १०८८ पार्श्वनाथ भगवान् शुभ मिती चैत्र सुदी १३ सं० १९८१ को विराजमान किये गये; पश्चात् इस वेदी का सोने का कार्य एवं काच के किवाड सं० २०२६ में श्री पूसालालजी सेठी की ओर से बने एवं वेदी प्रतिष्ठा इन्होंने करवाई। (३) श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय-इस चैत्यालय की जमीन श्री जोधराजजी अजमेरा से लेकर स. १९६४ में श्री लालचन्द्रजी गंगाबक्सजी व कन्हैयालालजी के तत्त्वावधान में नींव लगाई गई । सं० २००७ में वेदी प्रतिष्ठा होकर श्रीजी को विराजमान किया गया । यह वेदी श्री दाखीबाई पुत्री श्री लालचन्दजी काला व श्री मूलीबाई पुत्री श्री भंवरलालजी काला ने बनवाई । सं० २०२८ में इस चवरी में सोनेका काम एवं किवाड बनाकर श्री मिश्रीलालजी काला ने वेदी प्रतिष्ठा कराई और श्रीजी को विराजमान किया। (४) जैन भवन-श्री जैन भवन की नींव सं० १९६७. में श्री जोधरानजी कन्हैयालालजी, लालचन्दजी, गंगाबक्सजी ने लगाकर स, १९९७ में बनाकर सम्पन्न किया। यह भवन बस स्टैण्ड के मुख्य स्थान पर है। प्रायः हमेशा ही इस जैन भवन में जैन समाज हर प्रकार के मंडल-पूजा विधान एवं अन्य २ धामिक क्रिया करता रहता हैं और साधजन. त्यागोजन भी ठहरा करते हैं। हर्ष है कि वर्तमान में श्री १०८ चारित्र विभूषण विवेकसागरजी महाराज का ससंघ चातुर्मास भी इसी भवन में हो रहा है । इसके अतिरिक्त यहां दि० जैन कन्या पाठशाला सं० २०१५ में स्थापित हुई । श्री १०५ श्री क्षु० चन्द्रसागर विद्यालय २०३२ तक चलता रहा। पश्चात् श्री विवेकसागरजी म. के उपदेश से सं० २०३३ से श्री शांतिनाथ दि० जैन पाठशाला स्थापित हुई यो वर्तमान में भी चालू है । और बालक बालिका में सभी विद्या ग्रहण कर रहे हैं ।

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