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परिच्छेद.] अठारा नाते. तेरे माता-पिताके तथा तेरे साथ मेरा अठारह नातोंका संबंध है तू क्यों रोता है भली प्रकारसे खेल । अवधिज्ञानको धारण करनेवाली सुसाध्वी ' कुबेरदत्ता' जिस वक्त उस बालकको खिलाती हुई पूर्वोक्त अठारह नाते बता रहीथी उस वक्त 'कुबेरदत्त' भी कहीं पासमें रहा हुआ सुन रहा था। उसे यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ और साध्वीके पास आकर बोला कि हे आय ! इस प्रकारके परस्पर असंबद्ध वाक्य क्यों बोलती हो? इससे . मुझे बड़ा आश्चर्य होता है, जैन साधु-साध्वी प्राणान्त कष्ट आने परभी असत्य भाषण नहीं करे और तुम यह असंबद्ध तथा अ-. सत्य वाक्य बोल रही हो इससे मैं बड़ाही विस्मित होता हूँ।
यह सुन कर साध्वी 'कुबेरदत्ता' बोली कि मैं असत्य भाषण नहीं करती हूँ सच मुचही यह बालक मेरा भाई लगता है क्योंकि मेरी और इसकी माता एकही है और पुत्र इस लिए कहती हूँ कि यह मेरे पति के वीर्यसे पैदा हुआ है और पतिका भाई होनेसे यह मेरा देवर भी होता है और मेरे भाईका यह पुत्र है, इस लिए मेरा भतीजा भी है मेरी माताके पतिका छोटा भाई होनेसे यह मेरा चाचा भी होता है और मेरी सौकनके पुत्रका पुत्र होनेसे मेरा पोता भी होता है । अब रही इसके पिताकी बात जो इसका पिता है वह मेरा भाई होता है क्योंकि हम दोनोंको जन्म देनेवाली जननी एकही है और इसका पिता मेरा पिता भी होता है क्योंकि इसकी और मेरी याताका वह पति है और यह मेरे चाचाका पिता लगता है इस लिए मैं उसे अपना पितामह (दादा) कहती हूँ उसके साथ मेरा विवाह संबंध भी हुआ था इस लिए वह मेरा पति भी होता है । मेरी सौकनकी कुक्षिसे उत्पन्न होनेसे वह मेरा पुत्र भी होता है. और.