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॥ आठवाँ परिच्छेद ॥
नूपुर पंडिता.
राजगृहनगरमें 'देवदत्त' नामका एक सुनार (सोनी) Fasarns रहता था, 'देवदिन्न' नामा उसका पुत्र था, स्त्रीE-3 चरित्रोंमें बड़ी दक्षा और रूपलावण्य संपन्ना 'दु
गिला' नामकी उस देवदिनकी पत्नी थी । एक .. दिन वह 'दुर्गिला' अच्छे आभूषण तथा वस्त्र पहरके कामदेवके वाणोंके समान अपने तीक्षण कटाक्षोंसे युवा पुरुषोंके मनोभावको भेदन करती हुई नदी स्नान करनेके लिए घरसे निकली । 'दुगिला' ने शीघ्रही उस नदी तट भूमिको अलंकृत किया और स्नान करनेके लिए शरीरसे धीरे धीरे वस्त्र उतारने लगी। कामदेवकी दुर्ग भूमिके समान अपने स्तन द्वयको दिखाती हुई उसने अपने 'कंचुक' को उतारा, उस कंचुक तथा उत्तरीयको अपनी सखीको समर्पण करके और एक बारीक वस्त्रसे अपने शरीरको आच्छादित करके मरालीके समान नदीमें तरने लगी। तरंगिणीने भी अपनी लंबी लंबी तरंगरूपी भुजाओंसे चिरकालसे मिली हुई सखीके समान सर्वांगसे आलिंगन किया । 'दुर्गिला' स्नान करती हुई ऐसी भाषित होती थी जैसे वयंभू रमण सबमें सुरांगना हो। नदीमें स्नान करते समय 'दुर्गिला' नदी तटपर