________________
2-9999
*52
॥ दशवाँ परिच्छेद ॥*
$5252525252522sess
शंखधमक, वानर और शिद्धि बुद्धि.
'शा लीगाँव' में एक 'कृषक' (किसान) रहता था, उस 'कृषक' ने अपने क्षेत्रमें लकड़ियोंका एक टाँड बना रक्खा था, उस 'टॉड' पर बैठके वह दिन छिपेसे लेकर प्रातःकाल तक अपने खेतकी रक्षा किया करता था, जब रातको उसके कानमें जराभी भनक पड़ती, वही वह जोरसे शंख बजाने लगता, उसके शंखके शब्दसे दूर तक जानवर डरकर भाग जाते । एक दिन एक चोरोंका टोला किसी एक गाँव से बहुतसी गायें चुराके उसके खेतके समीपसे जा रहे थे । 'कृषक' के कानमें कुछ भनक पड़ी, अत एव उसने शीघ्र ही अपना शंख फूँका, शंखका शब्द सुनकर उन चोरोंके दिलमें यह शंका पड़ गई कि जहांसे हम इन गायोंको चुराकर लाये हैं. उस गाँववाले लोग हमारे पीछे आ पहुँचे। इस शंकासे वे चोर उन गायों को छोड़कर अपनी जान बचाके ऐसे भागे जैसे प्रातःकाल होनेपर वृक्षोंको छोड़कर चारों दिशाओंमें पक्षीगण भाग जाते हैं। गायें सारी रातभर वहांही