Book Title: Parishisht Parv Yane Aetihasik Pustak
Author(s): Tilakvijay
Publisher: Aatmtilak Granth Society

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Page 164
________________ DDEDJADJEEDJEEG है -*तेरहवाँ परिच्छेद ॥ LARREARRESTERNET तीन मित्र. क्षितिप्रतिष्ठ' नामा नगरमें 'जितशत्रु' नामका राजा saas राज्य करता था । बड़ा विश्वासपात्र और सर्व कार्यमें Ans अधिकारी 'सोमदत्त' नामका उस राजाका पुरो हित था । उस 'सोमदत्त' पुरोहितके तीन मित्र थे, उनमेंसे 'सहमित्र' नामका पहला मित्र था, उसके साथ हमेशा 'सोमदत्त'का परिचय रहता था। खानपान सन्मानसे उसे सदाकाल प्रसन्न रखता था बल्कि यहां तक कि जब उसे कुछ संकट आपड़ता तब 'सोमदत्त' हजारोंही रुपये खर्च कर देता और किसी भी तरहसे उसे शान्ति पहुंचाता । 'पर्वमित्र' नामका दूसरा मित्र था, उसे पर्वके दिनोंमें या कभी महोत्सवके आनेपर बुलाकर उचित सन्मान दिया जाता था अन्यथा नहीं । 'प्रणाममित्र' नामका तीसरा मित्र था, उसके साथ इतनी ही मित्रता थी कि जब कभी वह रास्तेमें मिल जाता तब उसको नमस्कार मात्र सन्मान दिया जाता, अन्यथा वह कहाँ रहता है और क्या उसकी दशा है,

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