Book Title: Pardeshi Rajano Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ (७) ॥ ढाल चोथी ॥ राग रामग्री ॥ बानोने उप करि कंता किहां रह्यो रे ॥ ए देशी ॥ अथवा, जू आगमगति पुण्यनी रे ॥ए देशी ॥ .॥ईणे प्रस्तावें तित्र ते सारथी रे, सुणी जन श ब्द अपार रे ॥ लोकने देखी जाता रंगशुं रे, चिंतवे चित्त महार रे ॥ १॥ श्राज महोत्सव इंण नगरी किश्यो रे, पूजे कंचुकी पास रे ॥ कर जोडीने तेपण इंम कहे रे, जाणी वात उदास रे॥श्रा॥॥श्राज महोत्सव बीजो को नहीं रे,श्म जाणो मुज सामीरे॥ पास संतानी सङ्गुरु श्रावीया रे, केशी जेहy नाम रे ॥ श्रा० ॥३॥ वात सुणीने हरख्या सारथी रे, इम दीये सेवक काज रे ॥ देवाणुप्रिय सज थासह रे, वांदीशुं सदगुरु श्राज रे॥श्रा॥४॥ सेवक बंदरां परिवस्या सारथी रे, घोड वहिल बेग रंग रे ॥ त्र धरीजें माथे शोजतुंरे, श्राव्यो केशीने संग रे॥श्रा ॥५॥ तीन प्रदक्षिणा देई सामीनें रे, वंदना करे क र जोडी रे॥ सारथी बेग सदगुरु सामुहा रे, मानने मत्सर बोडी रे॥श्रा०॥६॥सदगुरु केशी पण ये एह वो रे,अमृत सम उपदेश रे ॥ चार महाव्रत परिषद श्रागडे रे, हिंसा नहीं लव लेश रे ॥था ॥७॥ ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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