Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 30
________________ (ए) ते फरकें हो॥रा॥ तसु पोतरो ने तुं कंत, ते जा णे जाउं एकंत हो ॥ रा॥॥ पण श्रावी न शके एह, चार थानक नां तेह हो॥रा ॥ नवो उपनो नारकी देखे, तिहां वेदना अतिहि विशेषे हो ॥राण ॥ए॥ मनुष्य लोकें हवे जाजं, इंम जाणे तिहां सुख पाउं हो ॥ रा०॥ पण श्रावी न शके तेह, प्रथम था नक बे एद हो ॥ राम् ॥ १० ॥ हवे बीजुं थानक कहीयें, तिहां परमाधामी लहीयें होरा ते दुःख दीये तिहां किणे जाई, तिण श्रागल न शके आई हो ॥रा०॥ ११॥ हवेत्रीजुं थानक एह, जेणे कर्म करयां ले जेह हो ॥रा॥ ते क्षीण हुश्रा विण जा णे, पण श्रावी न शके प्राणे हो॥ रा॥ १२॥ हवे चोथु कारण नां, जिणे बांध्यु नरकनुथाउ हो। रा॥ ते दीण इथा विण जाणे, पण श्रावी न शके प्राणे हो॥रा ॥ १३ ॥ए चार कारण श्ण लोके, ते श्रावी न शके शोके हो॥ रा० ॥ तिणे का रण मान तुं राया, जूश्रा ने जीवने काया हो ॥राण ॥१४॥नहीं जीवनें काया एक, ए चित्तमें धापति वेक हो ॥रा॥ एक प्रश्न उत्तर थयो पूरो, परदेशीरा य सनूरो हो॥रा॥१५॥श्हा राखी ढाख ए जाणी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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