Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 59
________________ (५७) ॥ ढाल बत्रीशमी ॥ राग गोडी ॥ सीमं धरस्वामी सांजलो रे ॥ ए देशी ॥ ॥ हवे केशी कहे सांजलो राजा, करीश घणो पश्चात्ताप ॥ लोह वाणीयानी परें जाणो, जिम लह्यो शोक संताप ॥ १॥ नरेसर सांजलो रे ॥ यो जिन धर्म विख्यात, गेडो कुमति मिथ्यात ॥ नरेसर ॥ लोह वाणीयो कुण ते स्वामी, कहे परदेशी राय ॥ मुनि कहे सुण दृष्टांत अनोपम, जिम निश्चल मन थाय ॥ नरे॥२॥ जिम केई वाणीया धनना श्र रथी, श्ररथ गवेषण हार ॥ श्ररथना लोनी श्ररथ ना वांडक, लेई नंम अपार ॥ नरे॥३॥नात पाणी संबल बहु ले, अटवी पेग एक ॥ तिण अटवीमें चलतां दीगे, लोह ागर सुविवेक ॥ नरे॥४॥ लोह लीधो तिण हरखित होई,श्रागें चाव्या जाम ॥ तरुश्रानो श्रागर एक दीगे, सहु कहे वाणीया श्राम ॥ नरे० ॥५॥देवाणु प्रिय ए तरूश्रानो, ढगलोअडे श्रनिराम ॥ थोडे तरूए अतिघणो लाने, लोह नार निःकाम ॥ नरे ॥६॥ लोह नार तिण गेडी स घलो, लीजें तरूश्रा जार ॥ तेह वात सुणीने लीधो, बोमी लोह असार ॥ नरे॥७॥ एक पुरुष तिणे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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