Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 63
________________ (६२) नावे रे ॥वांको वांको मुजणुं वरती, अखमावी श्म जावे रे ॥प्रति० ॥१३॥ ढाल थश्तेत्रीश इसी परें, सूत्र तणे अनुसारें रे ॥ कहे ज्ञानचंद श्म नरकें प डता, सदगुरु वेग उगारें रे ॥ प्रति ॥ १४ ॥ ॥ ढाल चोत्रीशमी॥राग मलार ॥वधावानी देशी॥ ॥परदेसी राजा नणे, तुमे सुणजो हो मोरा सद गुरु श्राम ॥ परदेशी हो जिन गत आदस्यो, वली लीधा हो श्रावकनां व्रत बार ॥पर॥ श्म मुज मति प्रजु उपनी, ढुं करशुं हो प्रनु एहवं काम ॥पर॥१॥ देवाणुप्रियशुं सही, जे वयोहो वांको वांको अपार ॥पर॥ ते मुज कालें खामतां, श्रेय थाशे हो वली हरख अपार ॥ पर ॥॥ अंतेउर परिवारशु, परिव रियो हो वांदी प्रजुना रे पाय ॥ विनय करीने वा मीशु, जिम श्राव्यो हो गयो तिण दिस राय ॥परण ॥३॥ हवे परदेशी रायजी, दिन उग्यो हो जब हुन परजात ॥ पर ॥ हरख्यो राजा श्रतिघणुं, विधि वं दन हो कोणिक जेम विख्यात ॥ पर॥४॥ तरुणा तेजी पाखस्या, मलपंता हो शणगास्या गज राज ॥ पर ॥ सजा कीधा रथ रंग शुं, वली वाजे हो वाजां अधिक दिवाज ॥ पर० ॥५॥ नयर समायुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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