Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(10) नीदानुं खावाथो थता अवगुण उपर
___ कापालीकनो इष्टांत. एकशम्य कोकापालीक जीदा मांगवानुं खप्पर हाथमां लश्स्कंघे कोली लटकावी.फरतो फरतो एक घांचीनी घाणी फरती हती तेयांजश्बेगे. एटलामा ते घांचीनो बलद कोलीमां मों घालीने रोटलाना टुकमा खावा मंडयोते देखी पेलो,कापालीक हा हा करतो उ व्योने तेना मोमांथी खंचाववा लाग्यो ते जोघांचीए कहीन,महाराजजीखने शीनूखडे ? के एटला टुकडा शारु ललचाइजश्ने पालोखंचाववा दोमोडो हवे का पालीक बोध्यो के, नीखने कंही नूख नथी, कारण मने टुकडागणाजडे नेजडशेपण था बलद नीखनो खा रखे एथालसु बने नहीं एटलाजमाटे ढुं हुंचा बुं. कारण के नीखनुं खानारनांगुडागली जायजे.अने जो एनीखनुंखाश्यालसु बने तो तु पणएने शानोखावा श्रापे तेथी बेवटे ए मुखी थश्मरी जाय तेटला माटेज मने मुख लागे. पण बीजुं का कारण नथी उपर ल खेलअवगुण जीवनुं खावाथी जरुर पेदा थायडे वास्ते नीदानुं कंश खाज नहीं.
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