Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 79
________________ (७) जवां. सरसव मात्र पण पोते उपयोगमा लेवा नही. वली पण कहे जे के. ___थांजला, पीढीयां, पाटीया बारसांख एटलां पाषा णमय धर्मस्थानकमां सुखकारक होय , पण गृहस्थे पोताना घरमां कराववांनही पाषाणमयमां काष्ट, काष्ट मयमा पाषाण, थांगला देराशरमां के घरमा प्रयत्नथी (श्रवस्य) तजवा (एटले)घरमां के देराशरमां एम उ लट सुलट करवू नही. वली. ___ हल, गाडां,घाणी, अरहट्ट (रेंटीया चरखावीगेरे) कंटालावृदनांके पंचुबर, (वड पीपल पीपलो, उंबरो, काकवृद,) अने फुधवालांवृदनां उपर लखेलापदार्थ बनाववानही. वली पण बीजोरीनां, केलना,दाममनां, बेजातिनी जंबीरीनां, हलकुनां,श्रांबलीनां, बावलनां, बोरडीनां,घंतुरानां,(एटलां) वृदोजोपोतानां घरनी प डोशमा होए.अने जो तेनांमुल अथवा गया जेना घ रमांप्रवेश करे तेनां घरमा कुलनो नाश थाए माटे ए वृदो पोतानां घरमां वर्जवा. वली जो पूर्व दिशाए उचुंघरहोए तोधननो नाश करे दक्षिण दिशाए उचुं होए तो धन समृद्धी करे, पश्चिम दिशाए उचुं घर होय तोधिनी वृद्धि करे ,अने उतर दिशामां घर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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