Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 53
________________ (५५) हाथ पाय शिर बेदे ॥ शूली नेद करीने मारे, जीव तणो करे नेद रे॥ के०॥ ७॥गाथापति परखद अप राधी, तिण पलाल ढिग सेंती ॥वींटी अगनि करी परजाले, बीजी नीति ने एती रे ॥ के ॥ ए॥ मा हण परखद जे अपराधी, कठिण वचन करी त्राडे॥ कुंके कासुणग तणो करे लंबन, देशथी बाहिर काढे रे ॥ के० ॥ १० ॥ ऋषी परखदनो जे अपराधी, क पण वचन करी त्राडे ॥ नवियाक्रोश करी निर्न, उलंजो न कोई दाखे रे॥के॥११॥ गुरु कहे जो जाणो जो तो इम, इंम कां तूंतो बोले ॥उपरांगे उपरांगे चाले, वरते दमने तोलें रे ॥के ॥१२॥वांको वांको वचन तुं बोले, साधु न बोले तुंमो ॥ कहे ज्ञानचंद श्णी परे जाणो, साधु वचन ते रूडो रे ॥ के० ॥१३॥ ॥ ढाल श्रोगणत्रीशमी॥राग गोडी॥रामचंदके बाग, चांपो मोरी रह्योरी ॥ए देशी॥ ॥ कहे परदेशी राय, सांजलो मुनिवर केशी॥हु तो पहेलडे बोल, प्रतिबज्यो प्रनु देशी ॥१॥ पण मु ज चित्त विचार, उपनो एहवो स्वामी ॥ ज्ञानवंत गु णवंत, एहवो पुरुष हु पामी ॥२॥ वांको वांको जेम, चाबुं हुं तुम सेंती॥तिम तिममुजने लाज, थासे,प्रात Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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