Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 55
________________ (५४) मल जेवडो, तो हुं मानु साच ॥ जूदा जीव का या अडे सहढं प्रजुनी वाच ॥३॥ नवमें प्रश्न श्श्यो सही, पूजे राय विचार ॥केशी जिम उत्तर कहे, सां जलो ते अधिकार ॥४॥ तिण कालें तिण अवसरे, राय प्रदेशी पास ॥ वाये करी चाले घणु, वनस्पती काय विलास ॥५॥ ॥ ढाल त्रीशमी ॥राग केदारो॥ चोपाश्नी देशी॥ अथवा अतिरंग जीनेहो,अतिरंगजीने ॥एदेशी॥ __॥ तेवार पड़ी कहे मुनिवरकेशी, सांजलो उत्तर राय परदेशी॥हांगुरु नांखे, हो गुरु नांखे, सूधा सूत्र वचननी साखे ॥ हां ॥१॥ चलतो देखे तुं तिण काय, परिणमे नावें अनेक उपाय ॥ हां ॥ २॥ चलता देबु कहे राय, गुरु कहे कोण चलावे श्राय ॥ हांग॥३॥ देव असुर को नागकुमर, किन्नर व्यं तर नेद प्रकार॥हा॥॥राय कहे नको देव चला वे, पान सहु ए वाय हलावे ॥ हां ॥ ५ ॥ तो गुरु कहे तुं देखे राय, एतो रूपी वाय कहाय ॥ हां॥ ॥६॥ राय कहे नवि देखुंखाम, तो केशी कहे वल तुं श्राम ॥ हां ॥७॥ जो न वि देखे वाय सरूपी, जीव देखावं केम अरूपी ॥ हां ॥ ॥ सघले जावें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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