Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ (४०) न वेश रे ॥ बलवंत रोग रहित सदा, नहीं शोग ल वलेश रे॥ राय० ॥३॥ ज्ञान विज्ञान शोहामणो, सह शिलपनो जाण रे ॥ नाखवा समरथ हुए सही लेश तीर कबाण रे ॥ राय ॥४॥ साधु कहे सम रथ हुए, एह वात प्रमाण रे॥ तो वलतुं राजा नणे तिम मंद विन्नाण रे॥ राय० ॥ ५॥ तेहिज पुरुष बालक थको, नगवन श्म जाण रे ॥ नाखवा सम रथ जो हुवे, तेम तीर कबाण रे ॥ राय० ॥६॥त रुण पणे बालक सदा, जो नाखही तीर रे॥ तो हुं रोचवू सहवं, जूश्रा जीव शरीर रे ॥ राय॥७॥ जो तेह पुरुष बालक थको, वली मंद विन्नाण रे ॥ तरुणनी परें समरथ नहीं, तेम नाख वा बाण रे ॥रायण ॥ ॥ तो साची बुकि माही, रूडी बुद्धि विन्नाण रे ॥जीव काया एकज सदा, नहीं जूजूश्रा जाण रे ॥ राय० ॥ ए॥ पांचमो प्रश्न पूरो थयो, एह वीशमी ढाल रे ॥ कहे ज्ञानचंद हवे सांजलो, श्री गुरु वचन रसाल रे॥राय० ॥१॥ ॥उहो शोरठी ॥ ॥ केशी श्रमण कुमार, एदवे परदेशी रायनें ॥ ईम कहे उत्तर सार, सांजलो सहु मन लायनें ॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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