Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 43
________________ (४२) परदेशी राजा नगवन, तरुण पुरुष जो वीर रे ॥ श्राधे धनुष करीने समरथ, नहुवे नाखवा तीर रे॥ राजा ॥ ७ ॥ गुरु कहे कुण कारण श्हां राजा, स मरथ न हुए केम रे ॥ तसु उपकरण मल्या नहीं पुरा, राजा नाखे एम रे ॥ राजा ॥ए॥ गुरु कहे इंम जाणो परदेशी,तेहिज नर जव बाल रे ॥ नहीं उपकरण पूरा तसु इंडी, बल बुद्धि नहीं तिण काल रे ॥ राजा ॥ १० ॥ तेणे करी समरथ नहए राजा, नाखवा ते पंच बाण रे ॥ तरुण तणीपरें बा लकमाणस, पूरा जोग नहीं जाण रे ॥ राजा॥११॥ तिण कारण हवे सदहो साचो, रोचवो वली मन आण रे ॥ जीवनें काया जूश्रा जाणो, एकज नहीं अहीगण रे ॥ राजा ॥ १२ ॥ पांचमो प्रश्न उत्तर थयो पूरो, ढाल थक्ष एकवीश रे ॥ कहे ज्ञानचंद ए सदगुरु संगें, पूरे श्राश जगीश रे॥राजा ॥ १३॥ सर्व गाथा ॥३१ ॥ ढाल बावीशमी॥पंचमी तपविधि सांजलो॥एदेशी॥ __॥ तेवार पड़ी केशी प्रत्ये, कहे परदेशी रायो रे ॥प्रज्ञा बुधि विशेषथी, एतो उपमा थायो रे ॥१॥ परदेशी राजा नणे, पण ईण कारण हेतें रे, जीवने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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