Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(२४)
रा० ॥ मोटे शब्द करी कहे बोल, मलिया माणस टोला टोल ॥ रा० ॥ मे० ॥ १८ ॥ ॥ दोहा ॥
॥ एह विचारी चित्रशुं कहे वली राजा तेम ॥ जिम मनमांदे चिंतव्यो, सूत्र वचन बे एम ॥ १ ॥ पोतानी पण भूमिका, विचरी न शकां चित्त ॥ तेह पढी चित्र इंम कहे, राजाने बहु जत्ति ॥ २ ॥ १८० ॥ ॥ ढाल अगी आरमी ॥ राग मारु, कर्म परीक्षा करण कुमर चल्यो रे ॥ ए देशी ॥
॥ पास संतानी सदगुरु ए अबे रे, केशी नाम कु मार ॥ जाती संपन्ना चलनाणी वली रे, अवधि ना णी सुखकार ॥ पास० ॥ १ ॥ जीवनें काया जांखे जूजूया रे, तेह सुणी कहे राय ॥ श्रवधि पहुं कड़े चित्र तुं पहनें रे, जू जीवने काय ॥ पास० ॥ ॥ २ ॥ दंता स्वामी अवधि पशुं कहुं रे, जूश्रा जी वने काय ॥ एहनो जापण दारो ए अबे रे, इंम जा खुं हुं राय ॥ पास० ॥ ३ ॥ न्नें करी आजीविका ए करे रे, रायजी इस परें जाए ॥ टीकाकारें अर्थ को इस्यो रे, केवली वचन प्रमाण || पा० ॥ ४ ॥ ते सु परदेशी कड़े चित्रनें रे, किम जश्यें इस पा
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