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(क) कथाओं मे पद्मिनी के विषय मे कोई ऐकमत्य नहीं है। इसके पिता का नाम विभिन्न रूप मे प्राप्त है। जायसी ने इसके पति का नाम रतनसेन तो टॉडने भीमसिंह दिया है। डा० ओझा ने उसके पति का नाम रत्नसिंह माना है, किन्तु वे उसके लिये कोई प्रमाण उपस्थित न कर सके है।
(ख) वरनी, इसामी, निजामुद्दीन आदि मुसलमान इतिहासकारों ने कहीं पद्मिनी के नाम का उल्लेख नहीं किया है।
(ग) डा० आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव ने खजाइनुल फुतूह के आधार पर पद्मिनी की सत्ता को सिद्ध करने का प्रयत्न किया है। वास्तव मे इस ग्रन्थ में पद्मिनी की ओर किञ्चित्मात्र भी सकेत नहीं है। (घ) पदमिनी सर्वथा जायसी की कल्पना है, और पद्मिनी
विषयक जितने उल्लेख है वे सब जायसी के बाद
के है। उपर्युक्त युक्तियों मे अनेक सत्य होती हुई भी अनैकान्तिक हैं। पद्मावती-विपयक प्रायः सभी प्राप्त कथाएँ घटनाकाल से दो सौ वर्ष से भी अधिक वाद की है । इस दीर्घकाल में वंशादि के विषय मे कुछ भ्रान्तियाँ स्वाभाविक है। पद्मावती और सिंहल का सम्बन्ध कुछ कवि-समय सिद्ध से है। रहा पति का नाम , इस विषय में भ्रान्ति केवल उन्नीसवीं शताब्दी के लेखक टॉड को रही है। महारावल रत्नसिंह के समय का वि० सं०