________________
( ११ ) अचलदास की वच निका मे अनेक ऐसे जौहरों का उल्लेख हैं जिनका वर्णन हमे मुसल्मानी तवारीखो मे नहीं मिलता। हम जिस प्रकार मुसल्मानी तवारीखों के मौन के कारण उन्हें असत्य मानने के लिए विवश नहीं है, उसी तरह उनका मौन हमे पद्मिनी को भी कल्पित मानने के लिए विवश नहीं करता।
डा० आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव ने खजाईनुल फुतूह के आधार पर पद्मावती की सत्ता का प्रमाण उपस्थित किया था। डा० कानूनगो ने उसका निराकरण किया है। खजाइनुल फतूह के वर्णन का सारांश बहुत कुछ अमीरखुसरोके ही शब्दो - मे निम्नलिखित है।
८ जमादि उस सानी, हि० स० ७०२ सोमवार के दिन विश्वविजयी ( अलाउद्दीन ) ने चित्तोड जीतने का निश्चय किया। दिल्ली से सेना चित्तौड़ की सीमा पर पहुंची। दो महीने तक 'तलवारो की बाद पहाड़ की कमर तक चढी पर आगे न बढ़ सकी।' उसके वाढ मगरिबियों से दुर्ग पर पत्थरों की वर्षा होने लगी। ११ मुहर्रम, हि० स० ७०३ सोमवार के दिन 'उस युग का सुलेमान' [ अलाउद्दीन ] दुर्ग में पहुंचा। “यह भृत्य [ अमीर खुसरो ] जो सुलेमान का पक्षी है उसके १~श्री नरोत्तमदास जी स्वामी द्वारा सपादित अचलदास खीचीरी
वचनिका में हमारी भूमिका पढ़ें। २-देखें जर्नल ऑफ इण्डियन हिस्ट्री, जिल्द ८, पृष्ठ ३६९-३७१