Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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२९९१ ]
नेमिवृत्तंतु
[२९८८] _तहिं सरोवरि ललिवि इय सुइरु हरि-सुंदरि-सइण सहुं लग्गु ललिउ जल-जंत-कीलहं । तयणंतरु कुमर-वरु विजिय-अमर-नहयरु स-लीलहं॥ ताडिउ अ-करुणु कामिणिहिं सुरहि-सिसिर-सलिले हिं । सुर-सिहरिम्मि व अमरवइ- गणिण विमल-कलसेहिं ॥
[२९८९]
नेमि-कुमरु वि काउ सिंचेइ गंधोदय-सिंगियहं काउ हणइ वच्छयलि कमलिहिं । कासि पि कुसुमाहरण देइ का-वि भूसेइ स-करिहिं ॥ किं वहुएण व छंटणय- केलि कुणंतिण तेण । तह आवज्जिय सुर-खयर हरि-वल जेण खणेण ।।
[२९९०]
परिमुएविणु इयर-छंटणय कीला-रसु तहिं मिलिय नियहिं नेमि-कुमरस्सु चरियई । सिवदेवि वि स-परियण- सहिय नियइ निय-वच्छ-ललियई ॥ कीलइ एक्कहं पक्खि ठिउ एक्कु जि नेमि-कुमारु । अवरहं सोलस्स वि सहस हरि-अंतेउरु सारु ॥
[२९९१]
किंतु मयणु व वसइ हियएसु सव्वासि वि रमइ सवि सव्वि हणइ निय-नयण-वाणिहिं । रंजेइ सव्वासि मण हरइ हियय सव्वासि वयणिहि ॥ पाडलि-मालइ-मालियहिं पणइण क-वि वंधेइ । समुहागच्छिर पोढ क-वि कामिणि आलिंगेइ ॥
____Jain Education International 2010_05
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