Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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पडिलाहिवि अपु कयनिय जणणी - जणयहं वि पुहइप्पाल- महामइहिं इहु हरिभद्द - मुणीसरिण
[३३३१] समण - संघु विविवि-वत्थूहिं
नेमिनाहचरि
न य मंत-तंत-फुरणु इहु नेमि - जिणेसरह इय इहु भुवण - सुहावणउं अहव सयं पि-हु लेंति बुह
किच्चु करिवि सद्धम्म - कम्मिण । धम्म- हेउ जिण-नाह-भत्तिण || अब्भत्थणह वसेण । चरिउ लइउ लेसेण ॥
[३३३२]
मह न तारिसु वयण - विन्नाणु
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जइ वि तह वि पहु-भत्ति- जोगिण । चरिउ रइउ मई गुरु-पसाइण ॥ सुषणहु सुणहु चरितु | चिंतामणि सु-पवित्तु ॥
[३३३३]
कुमरवालह निवह रज्जम्मि
अणहिल्लवाडs नयरि सोलुत्तर-वार-सइ अस्सिणि-रिक्खिण सोम-दिणि सुप्पवित्ति लग्गमि । समत्थि कह-विनिय- परियण-साहज्जम्मि ॥
अणु-सुयण - वुहयणह संगमि । कत्तियम्मि तेरसि-समागमि ॥
[३३३४] पच्चक्खर - गणणाए सिलोग- माणेण इह पर्वधम् । अट्ठेव य सहस्सा वेत्तीस - सिलोगया होति ॥
[३३३५] जं किंचि मए अणुचियमुवइटुं तुच्छ - मइ - विसेसाओ । तं पसिउं मह सुयणा सोहंतु कय-प्यसाय ति ॥ [३३३६] यस्यांहि-द्वय-नख-मणि - मयूख- संक्रांत-सुरपति-श्रेणी | निज - लघुतामिव कथयति वपुषा विजयत्वसों नेमिः ॥ [३३३७] यावच्चन्द्रो यावद्दिवाकरो यावदमर - गिरिरत्र । राजति तावज्जीयात् श्री नेमि - जिनेन्द्र- चरितमदः ॥
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