Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 309
________________ ७३८ नेमिनाहचरिउ [ ३३२३ _[३३२३] तयणु पसरिय-गरुय-उच्छाहु सिरि-अंवाएवि-वर- वसिण दिट्ठ-असरिस-वसुंधरु । तक्कालु वि लटु सिरि- भीम-नेढ-आएसु सुंदरु ॥ अव्वुय-गिरि-रायह सिहरि निम्मल-फालिह-वन्नु । उसह-जिणेसर-चेइहरु कारावेइ रवन्नु । [३३२४] तयणु हरि-करियण-संगयह सव्वंगिय-लक्खणहं निलउ संड-नामिण य तियसिण । निच्चं पि-हु विहिय-वहु- सन्निहाणु गुरु-भत्ति-तरसिण ॥ नच्चाविय निय-कित्ति-बहु भुवण-रंग-मज्मम्मि । उवजुजिय-मणि-कणय-धणु सयण-सुयण-कज्जम्मि ॥ [३३२५] हुयउ नेढह तणउ धवलु त्ति सिरि-भीमएवंगरुह- कन्नएव-निवइहि महा-मइ । तस्सु वि जयसिंह-निव- रज्ज-समइ पसरंत-संपइ ॥ धणुहाविहिं पविइन्न-वरु कय-रेवंत-पसाउ । आणंदु त्ति जहत्थ-अभिहाणु सचिवु संजाउ ॥ [३३२६] चंद-निम्मल-सील-कय-सोह निक्कारण-कारुणिय सु-गुणवंत पणमंत-वच्छल । पउमावइ-नाम तमु हुय दइय सद्धम्म-पच्चल ॥ अह सिद्धाहिव-कुमरनिव- सुकय-भरिण भज्जत । नं अवलोइवि सयल धर अमुहिय-जण-संजुत्त ॥ Verse ३३२४. is added marginally in क.; ३३२१. १. क. निरु is added marginally before alfa and fe after it is omitted, ३३२५, २, क. पसामओ. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318