Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 308
________________ ७३७ ३३२२] प्रशस्तिः [३३१९] टंक सालई सिरि-वरुवलद्ध जिण ठवियउ चित्त-पडु लच्छि-निसिय-मुद्दासु जेण य । जसु संचिण वहइ इह मूलराय-मज्जाय तेम्व य ।। मूलराय-चामुंडनिव- वल्लहरायहं कालि। दुल्लहरायह चुलग-कुल- तिलयह रज्जि विसालि ॥ [३३२०] दसहं एगह सचिव-पय-भारउद्धरणि सु धुर-धवल वीर-नामु हुउ सचिव-पुंगवु । अंतम्मि य सुगुरु-पय- मूलि चरणु सेविवि अणासवु ॥ जणिवि पुन्न सव्वायरिण नियं-जीविय-फलु लेइ। सर-वसु-दिसि-वरिसम्मि जस-सैसत्तणु पावेइ ।। [३३२१] तमु वि नंदणु विउसु सु-कुलीणु सु-समत्थउ खति-परु सीलवंतु सोहग्ग-सुंदरु । नेदु त्ति अमच्चु हुउ जसु पसन्नु सिरि-भीम-नरवरु ॥ वीउ वि दंडाहिवइ-पय- पाविय-असम-पइछ । विमल-नामु नंदणु हुयउ असरिस-गुणहिं गरिट्छ । [३३२२] अवर-अवसरि भीम-नररायवयणेण विवक्खि-जय- हेउ विमलु चउरंग-सेन्निण । सिरि-चड्डावल्लि-वर- विसइ पत्तु निय-सत्ति-जोगिण ॥ अह संगहिय-विवक्ख-सिरि कय-निय-पहु-आएमु । तत्थ वसंतु सु सच्चवइ अव्वुउ सिहरि-विसेसु ॥ ३३२१ ६. क. वीओ. ८. क. वंदणु. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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