Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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७३९
प्रशस्तिः [३३२७]
विहिण करुणा रसिण सित्तेण सिद्धाहिव-कुमरनिव- रज्जकालि नय-मग्ग-निहिउ । वयगरण-स्सिरिगरण- भार-धवलु ससि-सम्म-दिटिउ ॥ सचिवाहिवइ विणिम्मविउ सिरि-आणंदह पुत्तु । सरसइ-वर-उवलटु सिरि- पुहइप्पाल निरुत्तु ॥
[३३२८]
तेण अव्वुय-गिरिहि सिरि-विमलनिम्माविय-जिण-भवणि असम-रूयु मंडवु कराविवि । तसु पुरउ करेणु-गय सत्त मुत्ति पुव्वयई ठाविवि ॥ निय-जणयह पुणु सेव-कइ जालिहरइ गच्छम्मि । जणणीए वि पंचासरइ पास-जिणिंद-गिहम्मि ॥
[३३२९]
माय-मायह सीलि-नामाए पुणु चड्डावल्लयह वीरनाह-जिणहरह पंगणि । इहि मंडव कारविय असम-रूव अणहिल्ल-पट्टणि ॥ तह रोहाइ य वारहइ सावणवाडइ गामि । स-जणणि-जणयहं दोण्हयह सेय-कज्जि अभिरामि ॥
[३३३०]
तिजय-तिलयह संति-नाहस्सु काराविउ जिण-भवणु सयल-नीइ-सस्थत्य-निट्टिण । नर-नारि-तुरंग-करि- रयण-विसय-लक्खण-विसिद्विण ॥ तयणु लिहाविवि पुत्थयहं सइहि सयल सिद्धंत । आराहिवि तित्थाहिवहं चलण जणिय-जम्मंत ॥ ३३२७. ८. क. उवलद्ध.
३३२८. ६. Lines 6 to 9 of verse 3328 and lines 1 to 5 of v. 3829 are added marginally in क. ३३२८. क. ४. मज्झि for पुरव. In 4.°ze of gas is illegible due to an ink-blot,
३३२९. १. क. इह. ८. क. अणयह.
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