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________________ ७४० पडिलाहिवि अपु कयनिय जणणी - जणयहं वि पुहइप्पाल- महामइहिं इहु हरिभद्द - मुणीसरिण [३३३१] समण - संघु विविवि-वत्थूहिं नेमिनाहचरि न य मंत-तंत-फुरणु इहु नेमि - जिणेसरह इय इहु भुवण - सुहावणउं अहव सयं पि-हु लेंति बुह किच्चु करिवि सद्धम्म - कम्मिण । धम्म- हेउ जिण-नाह-भत्तिण || अब्भत्थणह वसेण । चरिउ लइउ लेसेण ॥ [३३३२] मह न तारिसु वयण - विन्नाणु Jain Education International 2010_05 जइ वि तह वि पहु-भत्ति- जोगिण । चरिउ रइउ मई गुरु-पसाइण ॥ सुषणहु सुणहु चरितु | चिंतामणि सु-पवित्तु ॥ [३३३३] कुमरवालह निवह रज्जम्मि अणहिल्लवाडs नयरि सोलुत्तर-वार-सइ अस्सिणि-रिक्खिण सोम-दिणि सुप्पवित्ति लग्गमि । समत्थि कह-विनिय- परियण-साहज्जम्मि ॥ अणु-सुयण - वुहयणह संगमि । कत्तियम्मि तेरसि-समागमि ॥ [३३३४] पच्चक्खर - गणणाए सिलोग- माणेण इह पर्वधम् । अट्ठेव य सहस्सा वेत्तीस - सिलोगया होति ॥ [३३३५] जं किंचि मए अणुचियमुवइटुं तुच्छ - मइ - विसेसाओ । तं पसिउं मह सुयणा सोहंतु कय-प्यसाय ति ॥ [३३३६] यस्यांहि-द्वय-नख-मणि - मयूख- संक्रांत-सुरपति-श्रेणी | निज - लघुतामिव कथयति वपुषा विजयत्वसों नेमिः ॥ [३३३७] यावच्चन्द्रो यावद्दिवाकरो यावदमर - गिरिरत्र । राजति तावज्जीयात् श्री नेमि - जिनेन्द्र- चरितमदः ॥ For Private & Personal Use Only [ ३३३१ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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