Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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नेमिनाहचरित
[३२९२
[३२९२]
एम्व गग्गर-गिरिहिं पुणरुत्तु सिरि-नेमि-जिणेसरह पाय-पउम थुणिऊण सुर-वर । अणुमच्छिर-तिरिय-नर- खयर-सिद्ध-गंधव्व-किन्नर ॥ उचिओचिय-ठाणेसु ठिय सिर-विरइय-कर-कोस । निसुणहिं सामिहिं धम्म-कह घण-गहीर-निग्घोस ।
[३२९३]
अह कहेविणु उभय-भव-भाविसुह-कारण धम्म-कह दाउ विविह-अणुसहि संघह । पव्वाविय पउर-नर देस-विरइ वियरेवि अन्नह ॥ के वि करिवि संमत्त-धर के-सि वि नियम-विसेस । किं बहुइण सिव-नयर-पहि लाइवि जीव असेस ॥
[३३९४]
एम्व-कारिण सिवि गिह-वासि कुमरत्तिण वरिस-सय तिन्नि तयणु चारितु घेप्पिणु । चउपन्न-दिणाई छउमत्थ- भाव-जोगिण गमिप्पिणु ॥ चउपन्नूणय-वास-सय सत्त धरहं विहरेवि । केवलि-परियारण पहु भविय-कमल वोहेवि ॥
[३२९५]
अंति मासिय-तविण जय-बंधु वग्धारिय-कर-जुयलु खविय-सयल-भव-भावि-कलि-मलु । पडिवोहिय-भविउ वर- नाण-चरण-दंसणिहि पेसलु ॥ छत्तीसाहिय-पंच-सय- समण-गणिण संजुत्तु । आसाढह सिय-अहमिहिं सेलेसीए गमित्तु ॥
____Jain Education International 2010_05
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