Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 302
________________ ७३१ ३३०१ ] नेमिनिब्वाणु [३२९६] दियह-पंचम-भाग-समयम्मि चइऊण सरीरु इहु सिद्धि-रमणि-मुक्कंठ-माणसु । जह-रूव-सरूव-धरु उड्ढगइहि गमणम्मि अणलसु ॥ सामिउ मरगय-सामलउ तियसासुर-कय-सेवु । सिव-नयरिहि नायगु हुयउ नेमि-जिणेसरु देवु ॥ [३२९७] तयणु समण संव-पज्जुनरहनेमि-प्पमुह बहु- भेय साहु संपत्त सिद्धिहिं । सिरि-राइमइ-पमुह साहुणी वि वर-नाण-सुद्धिहि ॥ पक्खालिय-निय-पाव-मल पत्त भवन्नव-तीर । सासय-ठाणि पहुत्त वर- नाण-चरित्त-सरीर ॥ [३२९८] राया समुद्दविजओ सिरि-सिवदेवी य जाइ माहिदे । वर-भज्जाउ कण्हस्स अट्ट सिझंति ज भणियं ॥ [३२९९] नागेखें उसभ-पिया सेसाणं सत्त जंति ईसाणे । अट्ठ य सणकुमारे माहिदे अट्ठ अणुकमसो ॥ [३३००] आइ-जिणाणटण्डं गयाओ मोक्खम्मि अट्ठ जणणीओ । अ य सणकुमारे माहिदे अट्ट वच्चंति ॥ [३३०१] सच्च-लक्खण-गोरि-गंधारीपउमावइ-जंववइ- रुप्पिणीउ तह सिरि-सुसोमय । उवलद्ध-केवल-गइय सिव-पुरीए हरि-दइय अद्वय ॥ इयरु वि नर-नारिहिं नियरु नेमि-सामि-तित्थम्मि । तहि अवसरि वर-नाण-धणु गउ वहुयरु सिद्धिम्मि ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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