Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 300
________________ ३२९१ ] [३२८८ ] तयणु सुरवर थुणहिं जिण- इंद जह - जु विविह- दुह - जलण-जलहरु | जो य सिद्धि- सुह- कुमुय - ससहरू ॥ पय-पउमई भत्ति-भरु जो वंछिय - कप्पतरु समुद विजय- निव-अंगरुहु सिरि-सिवदेवि पुत्तु । ताति-कालु विपय नमहु जिम्व सिवु लहहु निरुत्तु ॥ जो सयल - संसय - हरणु जो धवलय-ति-जय-जसु जो भव-जलहि- पडत-जणसो भवियहु जिणवरु सरहु [३२८९] जो पयासिय-भुवण - परमत्थु नेमिनिव्वाणु तं जि बंधवु Jain Education International 2010_05 [३२९०] तं चैव मह माय - पिय तुह सामिय नियडतणु इय पहु तुहं निय-पय- पुरउ जह मह जायइ मूलह वि चलि जीविइ छाहि-समि इय चिंतिवि किं-पि पउ जं निय-भिच्च परम्मुहा इय भावेविणु कुणसु तह जो समग्ग- रिउ वग्ग - वारणु । जो य भुवण - अहिल सिय-कारणु ॥ तारण- पवर-तरंडु | गुरु-गुण- रयण-करंडु ॥ तं जि सुहि पुत तुझ विरहि हउं रइ न पांवहुँ । पुणु कयत्थु अप्परं विभावरं ॥ तह वियरहि संवासु । दुह-दालिद - विणा ॥ [३२९१] चलिरि जोव्वणि धणि अ-साहीणि मह न सामि पडिवंधु कत्थ-वि । देहि नाह तं वससि जत्थ-वि ॥ होंति न सामिय लोइ । जह पहु जुत्तउं होइ ॥ ३२८८. ९. जेम्व. ३२९०. ३. पाम्बहु; ५. कयत्थु अत्थु अप्पउं; ६. क. पुरओ. ९२ For Private & Personal Use Only ७२९ www.jainelibrary.org

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