Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 303
________________ ७३२ [३३०२ नेमिनाहचरिउ [३३०२] अवि य कंचण-रयण-निम्मवियनिव्वाणिय-सिविय कय तियस-राय-वयणेण वेगिण । वेसमणिण तयणु जिण- अंगु तीए परिखिविउ इंदिण ॥ अह वाहाविल-नयण-दल निय-निय-पह-वयणेण । अभिओगिय सुर चिह कुणहिं देवदारु-कढेण ॥ [३३०३] अहह सामिय परम-कारुणिय जर-मरण-दुहोह-करि राय-दोस-विसहर-भयावणि । अइ-दुद्धर-मोह-वल- पंचवयणि संसार-काणणि ॥ नाह-विहीणउ गय-सरणु अइ-करुणउं कंदतु । इहु उज्झेविणु भविय-जणु कहिं तुहुँ सामि पहुत्तु ॥ [३३०४] एम्ब स-करुणु तियस-नाहिं पलवंतिहिं कह-कह-वि उक्खिवेउ सिय नेमिनाहह । अक्कंदिरि तिहुयणि वि भरिय-विवरि तह सिहरि-रायह ॥ देवदारु-गोसीस-सिरिखंड- अगुरु-रइयाए । सामि-सरीरु ठवंति सुर- नायग मज्झि चियाए ॥ अग्गि-कुमर वि तियस निय-मुहह वज्जग्गि तहिं क्खिवहिं अह पहीण-सिय-मंस-सोणिय । पहु-अंगोवंग हुय तयणु गंध-उदएण झामिय ॥ अह तियसासुर-पहु पहुहु हणुय-पमुह-अट्ठीणि । जहरिहु गेण्हहिं अ-सिव-पह- कमण-पाणि-लट्ठीणि ॥ ३३०३. ६. क. गयसणु. ३३०४. ५. क. ख. नह. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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