Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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[ ३२२२
नेमिनाहचरिउ [३२२२]
किं तु पुणरवि सरिय-पुग्विल्लवारवइ-दाह-दुह वाहु-सलिल-संपुन्न-लोयण । कोमुम्भ-महा-गहणि पत्त कमिय-बहु-संख-जोयण ॥ अह मउलिय-वयणंदुरुहु पूरिय-गल-सरणिल्लु । भणइ कण्हु तण्हा-सुसिउ तुहुं वंधवु नियइल्लु ॥
[३२२३]
भाय पाइवि सिसिरु पाणीउ जीवावहि मई कह-वि इहरहा उ तण्हाइ-दोसिण । परिफुट्ट-नयणेहि मई अज्ज नूण मरियव्वु अ-वसिण ॥ तयणु-अहह मा भणसु इम्व जइ मरिसहि तुह सत्तु । हउं लहु अमय-विवागु जलु तई पाएसु निरुत्तु ॥
[३२२४]
इय भणेविण करिवि कोमलिहि वड-पत्तिहि सत्थरउ तत्थ ठविवि कण्हड्ड स-हत्थिर्हि । इयरो-वि हु फ्य-उवरि ठविवि पाउ कोसुम्भ-वत्थिहि ॥ संपच्छाइय-सयल-तणु उल्लरिउण झुरंतु । चिट्टइ जाता हलहरु वि जल-कइ चलिउ तुरंतु ॥
[३२२५]
इत्थ-अंतरि विहि-निओएण तहिं पत्तिण कर-कलिय- धणुह-वाण-अइभीम-रूविण । इहु चिट्टइ सुत्तु मिगु इय मुणेउ जर-कुमर-पाविण ॥ आयन्नंतिण मग्गणिण हउ हरि चलण-तलम्मि । अह - अरि अरि वियरइ कवणु पय-पहारु पडियम्मि ॥ ३२२२. ४. क. कोसुंव । ३२२५. ७. क. तरंमि ख. ललमि.
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