Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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नाण-तय-दिrयरु वि सविहागय-सिद्धि बहुजत्थ पयास एरिसउं तहिं पागय- मणुयाभिमुहु
इओ य
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नेमिनाहचरिउ
[३२७६]
तुंग-पगइ वि विमल - दिट्ठी वि गलियपाय - संसार-बंधु वि । हु विवद्ध - तित्थयर - नामुवि ॥ मोह-वसिण मिच्छत्तु । किं तीरइ जंपित्तु ॥
[३२७७] पंडुमहुरहं जरकुमारेण
परिकहिय वारasविनाय जण - मुहिण
कोथुभ रणु विकर-चडिउ अवलोइवि पुणरुत्तु । पलवइ पंडब- जणु सयलु सुरगिरि- गरुय - दुहत् ॥
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वइयरम्मि तह कण्ह - वइयरि । सयल-लोय-अच्चंत-दुहयरि ॥
[३२७८]
अवर - अवसरि तेसि पंडव
संसार- विहरिय- महं चरण - समउ मुणिऊण नेमिण । सिरि-धम्मघोसु तिमुणि सहिउ पंचसय साहु-विंदिण || पेसिउ तह पडिवोह कइ आगउ सुवि अइरेण । काणणिता पंडव सयल सह निय-परिवारेण ॥
[३२७९]
किं-चि वियलिय -सोय- संताव
आगंतु सूरिहि पुरउ जर- कुमरु ठafa नियपडिवज्जहिं पंचवि कमिण भाविण परिणय- जिण-वयण- विर्यालय-सयलावाह ||
३२७९. २. क. सूरिहिं; ८. क. परिण.
सुणिवि धम्म कह समय-सारिय । रज्जि दिक्ख कल्लाणगारिय || वियडिय-निय - अवराह ।
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[ ३२७६
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