Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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नेमिनाहचरिउ
[ ३२६६ [३२६६]
तइय-पुहइहिं गंतु हरि-पुरउ निय-वइयरु साहिउण अमुहु सयलु हरिउण स-सत्तिण । चलि वंधव सुर-पुरिहिं इय भणंतु सह नियय-गत्तिण ॥ उप्पाडिवि जा संचलिउ मुसलि-तियसु वेगेण । ताव विल(?)ज्जिवि पडिउ हरि धरणियलम्मि खणेण ॥
[३२६७]
भणइ पुणु जह - नेमिनाहस्सु अ-गणिउण वयणु मई न किउ धम्मु तइयहं विसुद्धउ । आवडिउ विवागु इहु तमु जि मज्झ गुरु-पाव-वद्धउ ॥ नासंतिर्हि वि न छुट्टियइ पावहं रिउहं रिणाहं । ता किं इह असुहिण कइण सुरगिरि-धीर-मणाई ॥
[३२६८]
किंतु एक्कु जि मज्झ असुहेइ जं तइयहं तारिसु वि दलिय-असम-माहप्प-सत्तु वि । वेलवियउ तवसिइण तेण गणिउ न य निमिस-मेत्तु वि ॥ इय निय-सत्तिण तह कह-वि कुणसु सहोयर एण्हि । जह मह तसु अवभावणह गलइ हवइ धुवु पण्हि ॥
[३२६९]
तयणु मुसलिण वंधु-नेहेण विहि-वसिण य अ-करिउण कु-वि वियारु आयइ-सुहावहु । आगंतु सुरट्टयह उवरि तियस-सत्तीए तहिं लहु ॥ सिरि-वारवई-दाहि कि-वि जे आणदिय सत्तु ।
जे उण दूमिय सुहि-सयण तह पडिविहिहि निमित्तु ॥ ___३२६६. १. क. पुहइहि; पुरभो.
३२६९. ९ क. पविहिहि
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