Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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नेमिनाहचरिउ
[३२५८
[३२५८]
इय विचिंतिरु मंगितुंगि त्ति अभिहाणहं पव्वयह मज्झ-देसि तव-कम्मु सेविरु। अइवाहइ दियह वहु- विह अरन्न-जिय-गण-विवोहिरु ॥ पुव्व-जम्म-संगय-मिगिण एगिण कय-पय-सेवु । अवरावसरि सु संठियउ उस्सग्गिण गय-लेवु ॥
[३२५९]
अरिरि हणि हणि वंधि बंधेहिं इहु अम्हहं रज्ज-कइ कुणइ उग्ग-तव-कम्म एरिस । इय जंपिर वहु-वलिण सत्तु-राय पसरंत-अमरिस ॥ आरोविय-कोदंड-गुण संधिय-निसिय-सरिल्ल । वेढहिं चाउद्दिसिहिं मुणि परिकंपिर-अहरिल्ल ॥
[३२६०
इत्थ-अंतरि तेण सिद्धत्थअभिहाणिण गुज्झगिण तहिं पएसि आगंतु वेगिण । परिमुक्क विउव्विउण रिउहुं समुह सुर-सत्ति-जोगिण ॥ पुच्छच्छोड-प्पडिरविण वहिरिय-मज्झ-दसास । खर-कर-नहर-दारणिण पयडिय-पिसुण-त्तास ॥
[३२६१]
कणय-पिंगल-कंति-केसरिहिं रेहंत-अंसत्थलय वियड-चलण-भर-खुहिय-धरयल । स-सरूविण डरिय-रिउ सीह-नाय-वहिरिय-नह-त्थल ॥ पुरिस-वयण सीहंग-लय नारसीह-आयार । भुवण-भयंकर चलिय रिउ- समुह कुणंत-पहार ॥ ३२५८. ९. क. "सु. ३२५९. ८. क. दिसिहि. ख. दिसिंहिं.
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