Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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७२०
नेमिनाहचरिउ
[३२५० ] इय विचितिरु गिरि विउब्वेवि
तहिं अखइ उafsरु पडिरो वि किंतु सम-भाग- धरणिहिं | सय-खंडिण भग्गु रहु पयडिऊण ता कट्ट-खंडिहिं ॥ तर्हि चिजा लग्गउ घडिउ ता रहु सयहा भग्गु । अह वलएवु समुल्लवइ जह - धुवु तुहुं अ-विवेगु ॥
[३२५१]
सिहरि सिहरिहि अ-खउ चडिऊण
उत्तरिऊण य अ खउ सो हविes सज्जु किह इरु भइ - जीविहर इहु तुह बंधवु जइयाहं । सज्जउ हविहइ रह-रयणु एहु वि मह तइयाहं ॥
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रहु जु भग्गु सम-भाग- वसुहहं । संधिओ वितई मुद्ध एम्वहं ॥
[३२५२]
अह सिलायल - कमल-वण-संड
आरोवण-गो-मयंगनीवरु वोहिण
चंचल-कुंडल-आहरणु
तह जर कुमरिण निहणियउ मउ हरि त्ति कहिऊण ॥
[३२५३]
भणइ हलहर तुज्झ पडिवोह
कज्जेण मई चेव इहु fairs you asrरु असेसु वि । ता हि णु वहेसि हरि करिव संधि हुय - कित्ति - सेसु वि ॥ तयणतरु सुर- हलहरिहिं सक्कारिउ हरि-काउ । आसि जु छम्मासावहिण वूहउं विहिय-विसाउ ||
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चारणाइ बहु-संविहाणिहिं । बहु-विहेहिं भव- विरइ-वयणिहिं ॥ अपु पयासेऊण |
३२५१. ४. क. सो विहइ; ५. क. ख. संधिउ.
३२५३. ५. क. वि for करिवि. ५. ६. हुयकित्तिसेसु वि तयणंतरु सुर व ८. क. ज.
[ ३२५०
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